ऑस्ट्रेलिया में जो हो रहा है, उसकी निंदा तो की जानी चाहिए , पर उस से घबराने की ज़रुरत नहीं है.
समय का चक्र हमारे पक्ष में घूम रहा है. वैश्वीकरण की आंधी और आर्थिक मंदी के दोर में दुनिया की अर्थव्यवस्था के बादशाह देशो के पैर उखड गए है.
कल तक प्यादे समझे जाने वाले चीन और भारत भविष्य के शहनशांह बनकर उभर रहे है.
पिछले 15 Yrs में विश्व अर्थव्यवस्था 80% फली फूली है. आय के असमान वितरण के बावजूद आम आदमी की आमदनी में 50 % का इजाफा हुआ है.
विस्तार ले रही विश्व अर्थव्यवस्था के लिए 47.1 Cr काम करने वालों की ज़रुरत पड़ेगी जिसमे तकरीबन एक तिहाई भारत और चीन को मुहेया करने होंगे भारत की ताकत उसकी युवा पीड़ी है.
आने वाले समय में बूडाते विकसित देशो का गुज़ारा भारत के बिना नहीं हो सकेगा. जिस प्रकार बुझने से पहले दीपक एक बार भड़कता है, उसी तरह भारतीय प्रतिभा को स्वीकारने के विरूद्व प्रतिक्रिया हो रही है.
ऑस्ट्रेलिया में हो रहे हिंसक घटनाओ को ऐसे समझा जा सकता है, कि यह प्रतिरोध ऑस्ट्रेलिया में नज़र आ रहा है, कल कहीं और दिखेगा इसके बाद समर्पण का दौर आयेगा.
उस दौर को ध्यान में रखकर ही आत्म संयम की ज़रुरत है.
वन्दे मातरम!!!!
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